मुलायम ने बदली इस किसान की किस्मत जल्द ही बन गया लखपति
मुलायम ने बदली इस किसान की किस्मत जल्द ही बन गया लखपति
Raebareilly News: रायबरेली एक किसान राधेश्याम गेहूं और धान की फसल के अलावा सब्जियों की खेती करते थे, लेकिन बारिश के समय उनकी सब्जियां खराब हो जाती थी. ऐसे में वह परेशान रहते थे, लेकिन उनके दोस्त मुलायम के आईडिया ने उनकी किस्मत ही बदल दी. अब वह बंपर कमाई कर रहे हैं.
सौरभ वर्मा/रायबरेली: ‘कहते हैं एक आईडिया आपकी दुनिया बदल सकता है’. ऐसा ही कुछ हुआ रायबरेली जिले के रहने वाले राधे श्याम मौर्य के साथ, जिनके दोस्त से मिले आइडिया ने उनकी दुनिया ही बदल दी. बता दें कि रायबरेली जिले के महाराजगंज तहसील के ओथी गांव निवासी राधे श्याम मौर्य परंपरागत फसलों धान और गेहूं के साथ ही सब्जियों की खेती करते थे. परंतु वह सामान्य तौर तरीकों से ही सब्जियों की खेती कर रहे थे. जिससे उन्हें ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा था.
पानी के जमाव से सब्जियां हो जाती थी खराब
बारिश के मौसम में तो ज्यादा बारिश होने पर उनकी फसल खराब हो जाती थी. इसकी वजह से वह परेशान रहते थे, लेकिन एक दिन वह खेतों में तैयार सब्जी (बैंगन) को लेकर बाराबंकी के बाजार में बिक्री के लिए गए हुए थे. जहां उनकी मुलाकात बाराबंकी के रहने वाले मुलायम सिंह और संतोष चौधरी से हुई. तो उन्होंने अपनी पूरी बात उनको बताई, तभी उनके दोस्त मुलायम और संतोष ने कहा कि आप परेशान ना हों. हम आपको एक नई विधि बता रहे हैं. जिससे बारिश के मौसम में भी आपकी फसल खराब नहीं होगी.
राधेश्याम मौर्य बताते हैं कि हमारे दोनों दोस्तों ने हमें मचान विधि के बारे में खेती करने का आईडिया दिया. उन्हीं के द्वारा मिले आइडिया से उन्होंने एक एकड़ में मचान विधि से सब्जी की खेती शुरू कर दी. अब बारिश के मौसम में उनकी फसल सुरक्षित भी है. वह किसी भी प्रकार का जल जमाव से फसल के नुकसान होने का डर भी नहीं है.
इस तरह तैयार होता है मचान
राधेश्याम मौर्य बताते हैं कि मचान बनाने के लिए बांस ,लोहे का तार, सूत की रस्सी की जरूरत पड़ती है. उसके बाद खेत की अच्छे से जुताई करके उसमे बांस के टुकड़े को पंक्तिवार तरीके ढाई से तीन फीट गहरे गड्ढे खोदकर उसी में बांस के टुकड़े गाड़ दिए जाते हैं. फिर लोहे के तार से या सूत की रस्सी से सभी को आपस में बांधकर जाल बना कर तैयार कर दिया जाता है.
मचान तैयार होने के बाद उन्हीं बांस के टुकड़ों के पास पौधे की रोपाई कर दी जाती है. जैसे-जैसे पौधा बढ़ता है. उसकी बेल को सूत की पतली रस्सी के सहारे उसी जाल पर चढ़ा दिया जाता है, जिससे फल आने पर वह फल नीचे की ओर जमीन पर लटक जाते हैं. इस तरह सब्जी की खेती करने पर खेत में जल जमाव होने पर भी फल का नुकसान नहीं होता है.
लता वर्गीय सब्जियों के लिए सबसे उपयोगी है मचान विधि
राधेश्याम मौर्य बताते हैं कि लता वर्गीय सब्जियों के लिए मचान विधि सबसे उपयोगी है. क्योंकि इसमें किसी भी मौसम में फसल के खराब होने का खतरा नहीं रहता है. साथ ही वह बताते हैं कि वह एक एकड़ में मचान विधि से लौकी की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.एक एकड़ में लगभग 90 हजार से एक लाख रुपए तक लागत आती है तो वहीं, लागत के सापेक्ष सालाना दो से ढाई लाख का मुनाफा हो जाता है. आगे की जानकारी देते हो बताते हैं कि वह मौसम के अनुसार सब्जियों की खेती करते हैं.
इस समय उनके पास 1 एकड़ में लौकी और एक बीघे में बैंगन की सब्जी तैयार है. खेतों में तैयार सब्जियों को वह रायबरेली, बाराबंकी, लखनऊ के बाजारों में बिक्री के लिए भेजते हैं. जहां से उन्हें अच्छा मुनाफा मिल जाता है.
मुलायम के आइडिया ने बदली किस्मत
किसान राधेश्याम मौर्य बताते हैं कि बाराबंकी के रहने वाले उनके दोस्त मुलायम और संतोष चौधरी के आइडिया ने उनकी तकदीर बदल दी है, जिससे वह अब सालाना लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं. अब उन्हें फसल के खराब होने का खतरा भी नहीं सताता है.
Tags: Local18, Rae Bareli NewsFIRST PUBLISHED : August 12, 2024, 15:25 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed