पैसा ही पैसाकिसानों के लिए ATM से कम नहीं है इस सब्जी की खेती

करेला एक ऐसी सब्जी है.जिसके दाम शायद ही कभी कम होते हैं. यह किसानों के लिए कैश क्रॉप है.इसकी खेती का सबसे उपयुक्त समय पहले सर्दी और दूसरा गर्मी है. यानी कि किसान साल में दो बार इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

पैसा ही पैसाकिसानों के लिए ATM से कम नहीं है इस सब्जी की खेती
सौरभ वर्मा/रायबरेली. रबी फसल की कटाई हो चुकी है. ऐसे में किसानों के खेत खाली हैं.आगे की फसल के लिए किसान मानसून का इंतजार करते हैं. लेकिन ऐसे खाली समय में किसान करेले की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. दरअसल बेहद कम लागत में यह फसल किसानों के लिए सबसे मुफीद फसल होती है. तो आइए रायबरेली के कृषि विशेषज्ञ से जानते हैं इसकी खेती के तौर तरीके के बारे में जिससे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. रायबरेली के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के प्राविधिक सहायक कृषि विवेक कुमार (Msc Ag इलाहाबाद विश्वविद्यालय) बताते हैं कि करेला एक ऐसी सब्जी है.जिसके दाम शायद ही कभी कम होते हैं. यह किसानों के लिए कैश क्रॉप है. इसकी खेती का सबसे उपयुक्त समय पहले सर्दी और दूसरा गर्मी है. यानी कि किसान वर्ष में दो बार इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. वह बताते हैं कि करेले की खेती भारत में लगभग सभी राज्यों में की जाती है. यह एक ऐसी फसल है जो कम समय में अच्छा मुनाफा देती है . साल में में दो बार  वह बताते हैं कि इस फसल की खेती वर्ष में दो बार की जा सकती है. पहले मई से जून में और दूसरा जनवरी से फरवरी का महीना उपयुक्त माना जाता  है.यह बेल प्रजाति की सब्जी है. इस फसल की अच्छी पैदावार के लिए गर्म और आद्र जलवायु अत्यधिक उपयुक्त मानी जाती है. वहीं तापमान न्यूनतम 20 डिग्री और अधिकतम 35 से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए. वहीं अगर मिट्टी की बात की जाए तो बलुई दोमट या दोमट मिट्टी और खेत में अच्छी जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए. यह है उन्नत किस्म की प्रजातियां अर्का हरित: करेले की यह उन्नत किस्म की प्रजाति है जो गर्मी व बरसात दोनों मौसम में की जा सकती है. अन्य प्रजातियों की तुलना में इसके फल कम कड़वे होने के साथ ही इसमें बीज भी काम होते हैं. इसकी प्रत्येक पौधे से 30 से 40 फल आसानी से प्राप्त किया जा सकते हैं. जिनका वजन लगभग 75 से 80 ग्राम तक होता है. वही प्रति एकड़ खेत से करीब 36 से 48 कुंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है. पूसा विशेष: यह भी एक उन्नत किस्म की करेले की प्रजाति है जो स्पीकर पर करो मुख्य तौर पर उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में उगाई जाती है. इसके लिए उपयुक्त समय फरवरी से जून तक का है. इसकी खासियत यह है कि इसके फल गहरी चमकीले हरे रंग के एवं मोटे होने के साथ ही गूदा भी मोटा होता है. इसके पौधे की लंबाई 1.20 मीटर तक फल लगभग 120 ग्राम से 155 ग्राम तक होता है. बुवाई के समय इन बातों का रखें विशेष ध्यान Local 18 से बात करते हुए प्राविधिक सहायक विवेक कुमार बताते हैं कि करेले की फसल की खेती करने वाले किसान बीज की बुवाई से एक माह पहले अपने 1 हेक्टेयर खेत में लगभग 30 टन गोबर की खाद या कंपोस्ट खाद का मिश्रण मिलना चाहिए. साथ ही 100 किलोग्राम नाइट्रोजन 50 किलोग्राम फास्फोरस के साथ 50 किलोग्राम पोटाश बुवाई के समय उपयोग करना चाहिए. आगे की जानकारी देते हुए बताते हैं कि 40 से 45 दिन में फूल आना शुरू हो जाते हैं. उसके बाद पहली तुड़ाई 60 से 62 दिन में करनी चाहिए. यानी की 100 से 120 दिन में यह फसल किसानों को अच्छा मुनाफा देने वाली फसल है. Tags: Agriculture, Farming, Farming in IndiaFIRST PUBLISHED : May 9, 2024, 14:10 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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