नकली नोट टेरर फंडिंग काले धन और टैक्स चोरी रोकने के लिए की गई थी नोटबंदी- केंद्र का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा
नकली नोट टेरर फंडिंग काले धन और टैक्स चोरी रोकने के लिए की गई थी नोटबंदी- केंद्र का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा
केंद्र सरकार ने 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने के अपने फैसले का बचाव किया है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को दाखिल किए अपने हलफनामे में नोटबंदी के फैसला का बचाव करते हुए कहा कि यह निर्णय भारतीय रिजर्व बैंक के साथ गहन विचार-विमर्श के बाद लिया गया था और नोटबंदी से पहले इसकी सारी तैयारियां कर ली गई थीं.
नई दिल्ली. वर्ष 2016 में की गई नोटबंदी के फैसले को चुनोती देने से जुड़ी याचिकाओं पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल कर दिया है. इस हलफनामे में केंद्र सरकार ने नोटबंदी के फैसले का समर्थन करते हुए बताया कि नवंबर 2016 में 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोटों को वापस लेने का आदेश एक आर्थिक नीतिगत निर्णय था, जो काफी सोच-विचार करके लिया गया था. केंद्र ने साथ ही बताया कि यह जाली नोट, टेरर फंडिंग, काले धन और टैक्स चोरी जैसी समस्याओं से निपटने की बड़ी रणनीति का हिस्सा था.
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा, ‘नोटबंदी करना जाली करेंसी, टेरर फंडिंग, काले धन और टैरर चोरी की समस्याओं से निपटने की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा और एक प्रभावी उपाय था. यह फैसला आरबीआई एक्ट के अंतर्गत आने वाले सभी प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए उसके साथ गहन विचार-विमर्श के बाद उठाया लिया था.’
‘अहम आर्थिक कदमों में से एक थी नोटबंदी’
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि ‘यह केवल इतने तक सीमित नहीं था, बल्कि परिवर्तनकारी आर्थिक नीतिगत कदमों की कड़ी में यह अहम कदमों में से एक था.’ इस हलफनामे में केंद्र सरकार ने बताया, ‘वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक, देश में कुल वर्कफोर्स 48.10 करोड़ है. इसमें से अनुमानित 40 करोड़ लोग गैर-संगठित क्षेत्र से जुड़े हैं. यह क्षेत्र पूरी तरह से नकदी पर आश्रित था. इसके साथ टेरर फंडिग, नकली नोट, कालाधन और टैक्स चोरी की समस्या बड़े पैमाने पर थी. आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड ने इन वजहों के चलते केंद्र सरकार से 500 और हजार रुपये का नोट बंद करने की सिफारिश की थी, जिस पर विचार करने के बाद फैसला लिया गया.’
अचानक लिया गया फैसला नहीं था नोटबंदी
केंद्र सरकार ने साथ ही बताया कि यह अचानक लिया गया निर्णय नहीं था, बल्कि एक-एक कदम बढ़ाया गया. सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि इस दौरान आम जनता के लिए विभिन्न स्तरों पर व्यवस्थाएं की गईं. डिजिटल पेमेंट को भी बढ़ावा दिया गया, जिसमें भारी बढ़ोत्तरी भी हुई थी.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ नोटबंदी के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिस पर अब अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी. पीठ ऐसी 58 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है जिनमें केंद्र के आठ नवंबर, 2016 को लिए गए नोटबंदी के फैसले को चुनौती दी गई है.
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Tags: Note ban, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : November 16, 2022, 22:56 IST