भारत जोड़ो यात्रा: ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर चलकर क्या अपनी मंजिल तक पहुंचेगी कांग्रेस
भारत जोड़ो यात्रा: ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर चलकर क्या अपनी मंजिल तक पहुंचेगी कांग्रेस
Congress Bharat Jodo Yatra: राहुल गांधी की इस यात्रा में राजस्थान से चुनिंदा नेता ही शामिल होंगे. यात्रा के रूट में हर दिन सभाएं और नुक्कड़ मीटिंग्स होंगी. इनमें राहुल गांधी के भाषण होंगे. भारत जोड़ो यात्रा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सहित अन्य नेता शामिल होंगे. राजस्थान में आपदा राहत मंत्री गोविंद मेघवाल को यात्रा के कॉर्डिनेशन की जिम्मेदारी दी गई है.
नई दिल्ली. देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस (Congress) ने अपने राजनीतिक हितों की रक्षा के लिए सारी तैयारियां कर ली हैं. कांग्रेस नेताओं को उम्मीद है कि 7 सितंबर से शुरू हो रही ‘भारत जोड़ो’ यात्रा (Bharat Jodo Yatra) कांग्रेस पार्टी से देशवासियों के साथ ही कांग्रेस नेताओं को भी जोड़ेगी. कन्याकुमारी से कश्मीर तक 35,000 किमी से अधिक की दूरी तय करने के लिए इस यात्रा का नेतृत्व राहुल गांधी (Rahul Gandhi)कर रहे हैं. इस यात्रा को लेकर नेताओं का कहना है कि कांग्रेस को एकमात्र ऐसी पार्टी के रूप में पेश करने का विचार है, जो राष्ट्र को एक साथ लाने के लिए संकल्पित है.
अनिश्चित पथ
भारत जोड़ो यात्रा को लेकर दो महत्वपूर्ण घटनाएं हैं, जो इस यात्रा के रास्ते में मुश्किलें पैदा कर सकती हैं. एक, कांग्रेस पार्टी का आंतरिक चुनाव और दूसरा, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव.
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कांग्रेस के एक शीर्ष सूत्र ने कहा कि नेताओं को नहीं लगता कि भारत जोड़ो यात्रा की वजह से पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव में कोई समस्या होगी. क्योंकि राहुल गांधी को आश्वस्त किया जा रहा है और वे चुनाव लड़ने के लिए सहमत हो सकते हैं. लेकिन फिर भी पार्टी आलाकमान कोई भी जोखिम लेने को तैयार नहीं है. कांग्रेस ने यह सुनिश्चित किया है कि जो लोग चुनाव में वोट करेंगे और अगर वे भारत जोड़ो यात्रा पर जाना चाहते हैं, तो वो बेंगलुरु जा सकते हैं. ऐसा अनुमान है कि जब यात्रा कर्नाटक के बेंगलुरु पहुंचेगी, तब पार्टी में मतदान चल रहा होगा.
हालांकि, इसमें भी एक समस्या है. कांग्रेस विद्रोहियों के तथाकथित “जी-23” समूह के कुछ सदस्यों की राय है कि यह अपनी बात रखने का सबसे अच्छा समय होगा. बता दें कि गुलाम नबी आजाद ने उस दिन अपने इस्तीफे की घोषणा की, जब कांग्रेस उम्मीद कर रही थी आम आदमी पार्टी (आप) पर एक बड़ा प्रेस कॉन्फ्रेंस करे. इसके अलावा आजाद ने जम्मू में उसी दिन रैली की, जब राहुल गांधी दिल्ली के रामलीला मैदान में हल्ला बोल रैली को संबोधित कर रहे थे.
G-23 के एक वरिष्ठ सदस्य ने up24x7news.com.com को बताया, “हमारे पास अपनी लीड है. हम जानते हैं कि कब खबरें बनानी हैं और उन पर प्रहार करना है. वे हम पर भाजपा की मदद करने का आरोप लगा सकते हैं, लेकिन बात यह है कि हम कांग्रेस की भी मदद करना चाहते हैं.” पहले से ही अटकलें हैं कि शशि थरूर पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल कर सकते हैं. हालांकि, उन्होंने अभी तक ऐसा नहीं किया है. सूत्रों के अनुसार, अभी के लिए G-23 सदस्यों में से एक ने पर्याप्त समर्थन नहीं होने के बाद भी पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए नामांकन करने का फैसला लिया है.
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भारत जोड़ो यात्रा का रास्ता
भारत जोड़ो यात्रा के रास्ते पर नजर डालने से पता चलता है कि कुछ महत्वपूर्ण बिंदु छूट रहे हैं. उदाहरण के लिए, यात्रा काफी हद तक सुरक्षित क्षेत्र से होकर गुजरेगी, जहां कांग्रेस को भीड़ जुटाने की उम्मीद है. यह राजस्थान पर केंद्रित है, जहां कांग्रेस सत्ता में है. वहीं, पंजाब और हरियाणा में भारत जोड़ो यात्रा सिर्फ अंबाला से गुजरेगी. यात्रा अपने पहले चरण में ओडिशा और पूर्वोत्तर राज्यों को छोड़ रही है. अगर इतिहास देखें, तो नेताओं की यात्राओं ने कठिन या चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों से गुजरने पर पार्टी का हौसला बढ़ाया है. यहां कांग्रेस ने मौका गंवा दिया है.
गुजरात और हिमाचल चुनाव
राहुल गांधी ने अपनी यात्रा श्रीपेरुम्बदूर से शुरू करेंगे. यहीं उनके पिता पूर्व पीएम राजीव गांधी की हत्या हुई थी. यहां एक स्मारक बना है, जो नेहरू-गांधी वंश की विरासत का प्रतीक है. यहां राहुल गांधी एक मोबाइल कंटेनर में अपनी कोर टीम के साथ रात बिताएंगे. सारा खाना स्थानीय रूप से पकाया जाएगा. दिग्विजय सिंह जैसे वरिष्ठ नेता यात्रा के पूरे हिस्से में राहुल गांधी के साथ रहने वाले हैं. इस दौरान राहुल गांधी एकमात्र ब्रेक गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के प्रचार के लिए लेंगे. संयोग से ये दोनों राज्य यात्रा मार्ग में नहीं हैं.
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अगर यात्रा के बीच में कांग्रेस चुनाव हार जाती है, तो यह राहुल गांधी और उनके वापस आने की क्षमता पर सवाल खड़े करेगी. इतिहास में यात्राएं अक्सर उन लोगों के लिए कारगर रही हैं, जिन्होंने इसे किया है. जैसे एनटीआर की चैतन्य रथम यात्रा, जगन मोहन रेड्डी की संकल्प यात्रा, ममता बनर्जी की सिंगूर और नंदीग्राम की यात्रा आदि.
एक चिंता यह भी है कि क्या लोग और स्वयंसेवक यात्रा में शामिल होंगे? या यह केवल पार्टी नेताओं के यात्रियों तक सीमित रहेगा? अगर ऐसा हुआ तो यह भारत जोड़ो यात्रा करने के उद्देश्य को विफल कर देगा. दरअसल, कांग्रेस इसे जन आंदोलन बनाना चाहती है. साथ ही, अगर यह यात्रा राहुल गांधी और कांग्रेस के भाग्य को नहीं बढ़ाती है, तो पार्टी एक बहुत बड़ा मौका एक बार फिर खो देगी.
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Tags: All India Congress Committee, Bharat Jodo Yatra, Congress, Rahul gandhi, Sonia GandhiFIRST PUBLISHED : September 06, 2022, 17:35 IST