बिहार में फिर से लहलहाएगी नौकरी की फसल शाम्भवी चौधरी ने कह दी बड़ी बात
बिहार में फिर से लहलहाएगी नौकरी की फसल शाम्भवी चौधरी ने कह दी बड़ी बात
केंद्र में तीसरी बार मोदी सरकार बनने के बाद बिहार में बंद पड़े कल-कारखानों को दोबारा से शुरू करने की मांग जोर पकड़ने लगी है. ये मांगें इस बार जनता नहीं बल्कि, जनता के द्वारा चुनकर आए नए सांसदों के द्वारा उठाई जा रही है. इससे राज्य में उद्योग धंधे के साथ-साथ युवाओं को नौकरी भी मिल सकती है.
नई दिल्ली. केंद्र में तीसरी बार मोदी सरकार बनने के बाद बिहार में बंद पड़े कल-कारखानों को दोबारा से शुरू करने की मांग जोर पकड़ने लगी है. ये मांगें इस बार जनता नहीं बल्कि, जनता के द्वारा चुनकर आए नए सांसदों के द्वारा उठाई जा रही है. ये सांसद केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और कैबिनेट मंत्रियों से मिलकर उनको अपने-अपने इलाकों की बंद पड़ी चीनी मिलें, पेपर मिलें या अन्य तरह के उद्योग धंधों की लिस्ट सौंप रहे हैं. सांसदों की इस मांग पर केंद्र सरकार ने भी विचार करना शुरू कर दिया है. सूत्रों की मानें तो बहुत जल्द ही बिहार के लिए एक बड़ा आर्थिक पैकेज का ऐलान हो सकता है.
समस्तीपुर से एलजेपी (रामविलास) के टिकट पर जीतकर आई देश की युवा सांसदों में से एक शाम्भवी चौधरी न्यूज 18 हिंदी के साथ बातचीत में कहती हैं, ‘देखिए, बिहार किसान प्रधान क्षेत्र है और मेरा इलाका समस्तीपुर भी किसान प्रधान इलाका है. यहां पर मक्के की उपज ज्यादा होती है. हम चाहेंगे कि समस्तीपुर में भी एक फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगे. मैं इस सिलसिले में अपने नेता चिराग पासवान जी से भी बात करूंगी. इसके साथ ही हम अशोक पेपर मिल हो या समस्तीपुर में बंद पड़े जूट मिल सभी को प्राथमिकता के साथ दोबारा से शुरू करने की कोशिश करेंगे. मेरी प्राथमिकता रहेगी कि जो फैक्ट्री बंद हो गए हैं, वे फिर से शुरू हो जाएं. इससे लोगों को रोजगार के साथ-साथ नौकरी भी मिले.’
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पिछले कई सालों से बिहार सरकार दावा करती आ रही है कि बिहार के लोगों को रोजगार के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं है. लेकिन, हकीकत इससे बिल्कुल उलट है. बिहार में नए उद्योग धंधा लगाना तो दूर पुराने उद्योग धंधों की स्थिति भी बदहाल हो चुकी है. जानकारों की मानें तो सिर्फ सरकारी योजनाओं के सहारे कुछ ही लोगों को रोजगार उपलब्ध हो पा रहा है. ऐसे में मजदूरों का पलायन बिहार की सबसे बड़ी त्रासदी है.
ऐसे में केंद्र में बिहार कोटे के 8 मंत्री बनाए गए हैं. एक-दो को छोड़ दें तो सभी मंत्रियों के पास बिहार में उद्योग धंधे लगाने या दोबारा शुरू का विभाग है. बिहार में चीनी, पेपर, जूट, सूत और सिल्क उद्योग का बेहद सुनहरा अतीत रहा है. बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह के समय में बिहार भारत की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला राज्य हुआ करता था. बरौनी रिफाइनरी, बरौनी उर्वरक कारखाना, बोकारो स्टील प्लांट, बरौनी डेयरी, भारी इंजीनियरिंग उद्योग यहां स्थापित किए गए थे. लेकिन, 80 के दशक के बाद और फिर झारखंड बनने के बाद बिहार बदहाल हो गया. कई पेपर मील बंद हो गए और चीनी मीलें धूल फांक रही है.
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बिहार के जाने माने अर्थशास्त्री अजय कुमार झा कहते हैं, ‘ फूड इंडस्ट्री में तो भारत की ही हिस्सेदारी पूरे विश्व में 6-7 प्रतिशत से ज्यादा नहीं है तो सोचिए बिहार की स्थिति क्या होगी? अगर बिहार की बात करें ते यहां एग्रीकल्चर सेक्टर के कई प्रोडक्ट्स का पैकेजिंग कर आप निर्यात कर सकते हैं. इससे बिहार का जीडीपी बढ़ेगा और लोगों के जीवन स्तर में काफी बदलाव भी आ जाएगा. एमएसएमई सेक्टर में भी बिहार में अपार संभावनाएं हैं. 30 करोड़ रुपये तक आप यहां व्यवसाय शुरू कर सकते हैं. डेयरी में बिहार की स्थिति काफी ठीक हुआ है. हम देश में चौथे-पांचवे स्थान पर आ गए हैं. डेयरी प्रोडक्शन पर अगर ध्यान दिया जाए तो बड़ी उपलब्धि हासिल की जा सकती है.’
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो एक समय बिहार में देश की सबसे ज्यादा चीनी मिलें हुआ करती थीं. देश की 40 प्रतिशत तक चीनी उत्पादन बिहार में ही होता था. बिहार के अलग-अलग जिलों में 28-30 चीनी मिलें थीं, जिनमें अभी मात्र 2-3 ही बचे हैं. इसके अलावा भी केंद्र सराकर हाजीपुर औद्योगिक क्षेत्र, मुजफ्फरपुर औद्योगिक क्षेत्र , बिहटा पटना सिकंदरा औद्योगिक क्षेत्र, कुमारबाग बेतिया औद्योगिक क्षेत्र, मारंगा पूर्णिया औद्योगिक क्षेत्र , वृहत औद्योगिक क्षेत्र बरारी भागलपुर और बेगूसराय औद्योगिक क्षेत्र थे, जिनकी स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होते चली गई. ऐसे में एक बार फिर से मोदी सरकार से उम्मीद जगने लगी है.
Tags: Bihar News, Chirag Paswan, Modi government, Unemployment RateFIRST PUBLISHED : June 13, 2024, 15:53 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed