हजभवन निर्माण का भाजपा ने किया स्वागत कहा- हिंदुओं के लिए पटना और गया में बने तीर्थभवन
हजभवन निर्माण का भाजपा ने किया स्वागत कहा- हिंदुओं के लिए पटना और गया में बने तीर्थभवन
BJP On Social Media: मिथिलेश तिवारी ने फेसबुक पोस्ट में कहा कि बिहार सरकार ने पटना में करोड़ों की लागत से अल्पसंख्यक समाज के धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों के संचालन के लिए हज भवन का निर्माण कराया है. लेकिन अब बहुसंख्यक हिंदुओं की धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों के संचालन के लिए पटना और गया में तीर्थभवन का निर्माण शीघ्र ही कराए.
पटना. बिहार में हिंदुओं के तीर्थस्थलों की बदहाली और वहां तीर्थयात्रियों के रहने के लिए सरकार द्वारा कोई इंतजाम नहीं किए जाने को लेकर भाजपा ने आपत्ति जताई है. पूर्व विधायक और भाजपा नेता मिथिलेश तिवारी ने सवाल उठाया कि अल्पसंख्यक कहे जाने वाले मुसलमानों के धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए हज भवन का निर्माण कराया गया है, तो बहुसंख्यक हिंदुओं के लिए तीर्थभवन क्यों नहीं.
भाजपा नेता मिथिलेश तिवारी ने सोशल मीडिया पर अपने एक पोस्ट के जरिए बिहार सरकार से मांग की है कि बहुसंख्यक हिंदू के तीर्थस्थानों पर तीर्थभवन का निर्माण कराया जाए. मिथिलेश तिवारी ने अपने फेसबुक पोस्ट में कहा है कि बिहार सरकार ने राजधानी पटना में करोड़ों की लागत से अल्पसंख्यक समाज के धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों के संचालन के लिए हज भवन का निर्माण कराया है. यह स्वागत योग्य है. लेकिन अब बहुसंख्यक हिंदुओं की धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों के संचालन के लिए पटना और गया में बिहार सरकार तीर्थभवन का निर्माण शीघ्र ही कराए. पूरी दुनिया से हिंदू अपने पुरखों का पिंडदान करने गया आते हैं, लेकिन गया में अभी तक सुविधाओं से पूर्ण तीर्थभवन सरकार ने नहीं बनवाया है.
पूरे वर्ष देश के कोने-कोने से तीर्थयात्रा पर जाने और आनेवाले हिंदू तीर्थयात्री और पूरे सावन में कांवर यात्रा पर निकलने वाले हिंदू तीर्थयात्री रेलवे स्टेशन/बस स्टेंड/ हवाई अड्डों पर रात बिताते हैं, उनके लिए तीर्थभवन नहीं बननाया गया है, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. इसलिए यदि बिहार सरकार वक्फ बोर्ड की खाली जमीन पर वक्फ भवन बनाना चाहती है, तो धार्मिक न्यास बोर्ड और राज्य में मठ/मन्दिरों की खाली पड़ी भूमि पर भी सरकार को तीर्थभवन का निर्माण कराना चाहिए.
मिथिलेश तिवारी में सीएम नीतीश कुमार से मांग करते हुए लिखा कि बिहार में पिछले 32 वर्षों से संस्कृत भाषा की उपेक्षा हो रही है. संस्कृत विद्यालय और शिक्षक राज्य सरकार से लम्बे समय से अनुदान की राह देख रहे हैं. लेकिन अभी तक निराशा ही हाथ लगी है. संस्कृत देव भाषा है इसलिए संस्कृत के बिना संस्कृति और हिंदू सनातन धर्म कैसे बचेगा? यह अत्यंत ही चिंता का विषय है. बिहार के छात्रों को वेद और ज्योतिष विद्या की शिक्षा हेतु बनारस और प्रयाग जाना पड़ता है तो बिहार में ये सुविधा क्यों नही.
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Tags: Bihar BJP, Bihar News, Bihar politicsFIRST PUBLISHED : July 07, 2022, 19:11 IST