Good News: पारंपरिक खेती छोड़ अमरूद के बगीचे लगा रहे किसान सालाना हो रही मोटी कमाई

Dausa News: दौसा जिले में किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर अमरूद की खेती करने में जुटे हुए हैं. इससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है. किसान मोहन लाल शर्मा के मुताबिक, हर साल खर्चा काटकर सालाना दो लाख रुपए की बचत हो जाती है.

Good News: पारंपरिक खेती छोड़ अमरूद के बगीचे लगा रहे किसान सालाना हो रही मोटी कमाई
रिपोर्ट: पुष्पेंद्र मीणा दौसा. राजस्‍थान के दौसा जिले में किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर अन्य प्रकार की खेती करने में जुटे हुए हैं. वहीं, वह प्रतिवर्ष अपना खर्चा हटाकर भी लाखों रुपए कमा रहे हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही किसान से मिलवा रहे हैं, जिसने अपने ससुराल वालों से प्रेरित होकर अमरूद का बाग लगाया. दरअसल दौसा जिले के सिकराय उपखंड क्षेत्र के गनीपुर गांव के मोहनलाल शर्मा ने पारंपरिक खेती को छोड़कर अमरूद की खेती की तरफ कदम बढ़ाए, तो उसकी आर्थिक स्थिति ही बदल गई. किसान मोहन लाल शर्मा ने बताया कि उन्होंने 2 वर्ष पूर्व 960 पेड़ अमरूद के लगाए थे. वहीं, सभी पेड़ों पर बहुत अच्छे फल भी आए, लेकिन एक साल बाद पेड़ सूखने लगे और काफी नुकसान हो गया. हालांकि अब बगीचे में करीब 700 अमरूद के पेड़ बचे हैं और फलों की आमद बहुत अच्‍छी है. साथ किसान ने बताया कि सवाई माधोपुर जिले में उनकी ससुराल है और उनके ससुराल वाले कई साल से अमरूद की खेती कर रहे हैं. उसी से प्रेरित होकर अमरूद की खेती शुरू की. किसान मोहन लाल शर्मा की पत्नी ने बताया कि अगर मेरे गांव वाले हमें प्रेरित नहीं करते, तो हम अमरूद का बगीचा नहीं लगाते और सालाना लाखों रुपए की इनकम नहीं होती. अमरूद पेड़ के साथ नींबू के लगाए पेड़ किसान मोहनलाल शर्मा के द्वारा 960 अमरूद बर्फ गोला खान के लगाए गए थे. इसके साथ 150 बेर थाई एप्पल और करूज के करीब 60 पेड़ भी लगाए हैं. वहीं, बगीचे में नींबू पेड़ भी मौजूद हैं, जो कि आय का स्रोत बनते जा रहे हैं. हालांकि सबसे ज्यादा आमदनी अमरूद से हो रही है. खर्चा काटकर सालाना दो लाख रुपए की बचत हो जाती है. हालांकि कृषि विभाग की तरफ से अभी कोई अनुदान नहीं मिला है. पारंपरिक खेती के साथ भी लगाया बगीचा किसान मोहन लाल शर्मा के साथ अनूप पुजारी ने भी पारंपरिक खेती के साथ-साथ में अमरूद, नींबू, बेर, करूज का बगीचा भी लगाया है. इससे दोनों की आमदनी कई गुना बढ़ी है. पुजारी ने बताया कि कृषि विभाग के बड़े अधिकारी भी आकर बगीचे को देख कर गए हैं, लेकिन अभी तक कृषि विभाग की तरफ से किसी भी प्रकार का कोई अनुदान उन्हें नहीं मिला है. अमरूद के बगीचे के साथ में चना, टमाटर की नहीं करनी चाहिए खेती किसान मोहन लाल शर्मा ने बताया कि अमरूद के बगीचे के साथ चना और टमाटर की खेती नहीं करनी चाहिए क्योंकि उनकी जड़ों में गांठ होती है और वह फैलते फैलते अमरूद की पेड़ों की जड़ों तक पहुंच जाती है. इससे अमरूद के पेड़ों को नुकसान होता है, इसलिए अमरूद के बगीचे के साथ में गांठ वाली खेती नहीं करनी चाहिए. एक ही अमरूद का वजन होता है 700 ग्राम से अधिक मोहन लाल शर्मा ने बताया कि उनके बगीचे में बहुत मोटा अमरूद आता है, जो कि करीब 700 ग्राम का होता है. हालांकि कई बार तो एक अमरूद ही 1 किलो का हो जाता है. साथ ही बताया कि परिवार में करीब 7 सदस्य हैं और सभी बगीचे में मेहनत करते हैं. इससे बचत का दायरा बढ़ जाता है. साथ ही बताया कि दौसा और आसपास की मंडी में अभी अमरूद बेच रहे हैं. वहीं, कुछ ठेकेदार बगीचे में ही आकर सौदा कर लेते हैं. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: Dausa news, Rajasthan news, Success StoryFIRST PUBLISHED : November 02, 2022, 17:42 IST