भाले सुल्तानी सैनिकों का इतिहास! आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों को 7 बार था हरा
भाले सुल्तानी सैनिकों का इतिहास! आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों को 7 बार था हरा
Amethi News: देश को आजादी दिलाने में अमेठी के भाले सुल्तानी सैनिकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. यहां करीब 600 की संख्या में वीरों ने 7 बार अंग्रेजों को पीछे ढकेल दिया. अंत में अंग्रेजों को यहां से भागना पड़ा था. यह इतिहास आज भी यहां मौजूद है.
अमेठी: देश को आजादी दिलाने में कितनी कठिनाई हुई. इस बात को हम सभी अच्छी तरह जानते हैं. कितने वीर शहीदों ने अपने जान की कुर्बानी देकर हमें आजादी दिलाई है. आजादी के दिन 1947 से गिनती करें तो भारत स्वतंत्रता की 77वीं वर्षगांठ 15 अगस्त को मनाएगा. कई वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति देकर देश को आजाद कराया. देश को आजाद कराने में क्रांतिकारी भाले सुल्तानियों ने अंग्रेजी हुकूमत को परास्त कर भीषण युद्ध में अपने प्राणों की आहुति दे दी. इसका इतिहास आज भी अमेठी के इतिहास में दर्ज है.
यहां मौजूद हैं प्रमाण
हम बात कर रहे हैं आजादी के गवाह स्थल कादूनाला की. अमेठी जिले के मुसाफिरखाना क्षेत्र के जंगल में आजादी की कई प्राचीन गवाहियां आज भी मौजूद हैं. यहां पर एक ऐसा कुआं भी है, जिसमें सैनिकों के कटे सिर अंग्रेजी फौज ने डाले थे. कहा जाता है कि यहां पर भीषण युद्ध हुआ था और भीषण युद्ध के दौरान जब अंग्रेजी शासन के प्रमुख जनरल डायर की फौज आगे बढ़ी तो 600 से अधिक भाले सुल्तानों से उनका मुकाबला हुआ.
यहां भाले सुल्तानी सैनिकों ने 7 बार अंग्रेजों को पीछे धकेल दिया, लेकिन कुछ घुसपैठियों के कारण अंत में भाले सुल्तानियों के सैनिकों को परास्त होना पड़ा. इन सब के बाद भी कई ऐसे सैनिक थे, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी. पर अंग्रेजी हुकूमत को कामयाब नहीं होने दिया. सैनिक हंसते-हंसते अपने देश की आजादी के लिए शहीद हो गए.
कादूनाला में मौजूद हैं कई ऐतिहासिक धरोहर
बता दें कि इस मुसाफिरखाना क्षेत्र में भाले सुल्तानियों की गवाही के साथ शहीदों की कई प्राचीन धरोहर आज भी मौजूद हैं. यहां पर एक पुल शहीद स्मारक स्थल के पास हरा भरा वातावरण मौजूद है. जहां प्राचीन समय के इतिहास के पत्थरों में दर्ज है. लोग अपने परिवार के साथ यहां पर समय बिताने के लिए आते हैं और इतिहास से जुड़ी जानकारी एकत्र करते हैं.
क्रांतिकारियों की फौज ने अंग्रेजों को पीछे किया
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार के अवधेश सिंह बताते हैं कि मुसाफिरखाना क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है, जो वीर शहीदों का स्थल कहा जाता है. यहां पर कई वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति देकर देश को आजादी दिलाकर स्वतंत्रता के गवाह बने.
यहां आज भी सब उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं. उन्होंने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत को पछाड़ने के दौरान किसी भी प्रकार का भय क्रांतिकारियों में नहीं रहा. पर वह बार-बार अंग्रेजों से लोहा लेते रहे. अंत में उन्हें हार मानकर वापस जाना पड़ा, लेकिन कुछ सैनिकों को अपने प्राण इस भीषण युद्ध में गंवाने पड़े थे.
प्रेरणा स्रोत रहेंगे वीर सपूत
वहीं, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी दिनेश मिश्रा ने बताया कि भाले सुल्तान वीर शहीदों की एक पवित्र भूमि है. यहां पर अपने वीर शहीदों को नमन करने के लिए जिन्हें फांसी दी गई थी. उन्हें नमन करने के लिए साथ में जो और क्रांतिकारी थे. सब की याद में यहां कार्यक्रम होता है. हम सब हर साल यहां पर शहीदों को नमन करते है. देश को स्वतंत्र स्वतंत्रता दिलाने में देश के जनमानस को प्रेरित करने में जिन शहीदों ने आगे बढ़कर भाग लिया था, उन्हें यहां पर याद किया जाता.
दिनेश मिश्रा ने बताया कि वीर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है और हम सभी आने वाले युवा के लिए सभी शहीद और वीर सपूत युगों युगों तक हमारे भारतीय जनमानस के प्रेरणा स्रोत रहेंगे. सबको यही संदेश है कि हमारे राष्ट्र पर हमारी भारत माता की भूमि पर यदि कभी कोई किसी प्रकार से परितंत्र करने की दिशा में प्रयास भी करता है तो हमारे नौजवानों को एकजुट होकर ऐसे समस्त प्रयासों को निस्तानाबूत कर देना चाहिए.
Tags: Amethi news, Local18FIRST PUBLISHED : August 13, 2024, 11:25 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed