आंखें निकालीं नाखून उखाड़े घुटने टूटे हुए और फिर 30 साल बाद 20 लाख रुपये

मामला बहुत ही संगीन था. जब उन 5 नौजवानों की शव सौंपे गए तो उनका पोस्टमार्टम करवाया गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए. उन नौजवानों का बड़ी बेरहमी से कत्ल किया गया. कत्ल करने से पहले उन्हें ऐसी यातनाएं दी गईं कि सुनने वाले के ही रोंगटे खड़े हो जाएं.

आंखें निकालीं नाखून उखाड़े घुटने टूटे हुए और फिर 30 साल बाद 20 लाख रुपये
असम में कथित फर्जी मुठभेड़ में पांच युवकों के मारे जाने की घटना में अदालत के निर्देश पर उनके परिवार के सदस्यों को 20-20 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर दिए जाने के बाद 30 साल तक जारी रही कानूनी लड़ाई का अंत हो गया. इस मामले में एक मेजर जनरल और दो कर्नल सहित सात आरोपी किसी भी प्रकार की सजा से बच गए. हालांकि, शुरूआती तौर पर एक सैन्य अदालत ने और सीबीआई की जांच में पाया गया था कि सभी आरोपी कथित अपराध में शामिल थे. बाद में कोर्ट मार्शल अधिकारियों ने मामले की समीक्षा की. कुछ और सबूत जुटाए गए, जिसके बाद घोषणा की गई कि सेना के जवान दोषी नहीं हैं. ये सभी सैनिक अब रिटायर हो चुके हैं. दरअसल, प्रतिबंधित उग्रवादी गुट उल्फा ने फरवरी 1994 में चाय बागान के एक मैनेजर की हत्या कर दी थी. इस हत्याकांड के बाद 18वीं पंजाब रेजिमेंट के सैनिकों की एक टीम ने 17 और 19 फरवरी 1994 को असम के तिनसुकिया में प्रबीन सोनोवाल, अखिल सोनोवाल, देबजीत बिस्वास, प्रदीप दत्ता और भूपेन मोरन को उनके घरों या ऑफिस से पकड़ा था. 4 दिन बाद 23 फरवरी को पांचों युवकों के शव स्थानीय पुलिस थाने को सौंप दिए गए थे और सेना ने दावा किया था कि ये लोग मुठभेड़ में मारे गए. इस घटना के बाद तत्कालीन छात्र नेता जगदीश भुइयां ने कहा था, ‘यह मुठभेड़ नहीं, बल्कि फर्जी मुठभेड़ थी, क्योंकि सभी युवक निर्दोष थे और उनका उल्फा से कोई संबंध नहीं था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि इन लोगों की आंखें निकाल ली गईं, नाखून उखाड़े गए और घुटने टूटे हुए थे. मुठभेड़ में ऐसा नहीं होता.’ छात्र नेता जगदीश भुइयां ने 1994 में गुवाहाटी हाईकोर्ट में इस मामले में एक याचिका दायर की थी. सीबीआई ने भी जांच के बाद 2002 में गुवाहाटी की एक स्थानीय अदालत में एक अर्जी दाखिल की, जिसमें कहा गया कि जांच एजेंसी इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि मृतक के शरीर पर जो चोटें पाई गईं, वे किसी मुठभेड़ में लगी हों यह विश्वास के परे है. इसके बाद सीबीआई ने पांच सैन्यकर्मी-तत्कालीन कैप्टन आर के शिवरेन (बाद में कर्नल), जेसीओ और एनसीओ दलीप सिंह, पलविंदर सिंह, शिवेंद्र सिंह और जगदेव सिंह को पांच व्यक्तियों की हत्या का जिम्मेदार ठहराया. सीबीआई ने कहा था कि सैन्यकर्मियों ने उन युवकों पर गोलियां चलाई थीं और इसलिए उन पर हत्या के आरोप में मुकदमा चलाया जाना चाहिए. न्यायमूर्ति अचिंत्य मल्ला बुजोर बरुआ और न्यायमूर्ति रॉबिन फुकन की पीठ ने 3 मार्च, 2023 को एक आदेश में केंद्र सरकार को मृतकों के परिजनों को 20-20 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया था. यह राशि 31 जुलाई को परिजनों के खातों में जमा की गई, जिसका बाद मामला बंद हो गया. Tags: Assam news, Crime News, Guwahati NewsFIRST PUBLISHED : August 4, 2024, 16:37 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed