देश को गोल्ड मेडल दिला चुका यह खिलाड़ी आज सड़क में बेच रहा है सब्जी

प्रवीण का कहना है कि अब सरकार से किसी भी मदद की कोई आस नहीं रही. देश के लिए मेडल लाने के बाद भी उन्हें कोई सम्मान नहीं मिला. अब वह सब कुछ छोड़ चुके हैं. सब्जी बेचकर अपने परिवार का गुजारा करते हैं.

देश को गोल्ड मेडल दिला चुका यह खिलाड़ी आज सड़क में बेच रहा है सब्जी
अंकुर सैनी/सहारनपुर: एक तरफ देश के खिलाड़ी ओलंपिक में मेडल जीत कर अपने देश का नाम रोशन कर रहे हैं वही दूसरी और उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले का एक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी सब्जी बेचता हुआ नजर आया, जी हां हम बात कर रहे हैं सहारनपुर के रहने वाले प्रवीण सैनी की, जिनको मार्शल आर्ट में महारत हासिल है. वह मार्शल आर्ट में ब्लैक बेल्ट रह चुके हैं. नेशनल से लेकर इंटरनेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड, सिल्वर और कांस्य पदक जीत चुके हैं, लेकिन अब यह खिलाड़ी सरकार की उदासीनता के कारण सब्जी की दुकान लगाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा है. प्रवीण का कहना है कि अब सरकार से किसी भी मदद की कोई आस नहीं रही. देश के लिए मेडल लाने के बाद भी उन्हें कोई सम्मान नहीं मिला. अब वह सब कुछ छोड़ चुके हैं. सब्जी बेचकर अपने परिवार का गुजारा करते हैं. मार्शल आर्ट खिलाड़ी प्रवीण सैनी ने बताया कि देश प्रदेश और जिले में मार्शल आर्ट से अच्छा नाम कमाया. लेकिन सरकारी मदद के नाम पर एक पैसा भी नहीं मिला. मेडल और सर्टिफिकेट तो बहुत मिले, लेकिन इनसे पेट नहीं भरता. सरकारी नौकरी मिली होती तो अपने परिवार का गुजारा करता और आगे खेलकर देश का नाम भी रोशन करता, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. परिवार की मजबूरी के कारण पिता की सब्जी की दुकान चलानी पड़ी.  प्रवीण के पिता की तबीयत खराब रहती थी, जिस कारण अब प्रवीण ही काम करता है तब परिवार का गुजारा होता है. सन 1999 में शुरू किया था  मार्शल आर्टस प्रवीण सैनी ने बताया कि मार्शल आर्टस को ओलंपिक में जगह नहीं मिल सकी. इस कारण सरकार ने कोई बढ़ावा मार्शल आर्टस और खिलाड़ियों को देने का काम नहीं किया. वो बताते हैं कि 1999 में मार्शल आर्ट्स सीखा. 2002 में मुंबई में इंटरनेशनल कूडो चैम्पियनशिप में भारत को रजत पदक दिलाया. लेकिन टारगेट गोल्ड पर था. 2005 में फिर से अंतरराष्ट्रीय कूडो चैम्पियनशिप में भाग लिया और गोल्ड जीता. इसके अलावा स्टेट और जिला स्तर पर भी कई मेडल जीते, लेकिन आज तक कोई सहायता राशि सरकार की ओर से नहीं मिली. जान पर खेलकर बचाई कई लोगों की जान, फिर भी नहीं मिला सम्मान प्रवीण सैनी बताते हैं कि सन 2009 में बड़ी नहर में छह साल का एक बच्चा डूब रहा था. वह बड़ी नहर पर किसी काम से गए हुए थे, बच्चे को डूबता देख उन्होंने बड़ी नहर में छलांग लगा दी. अपनी जान की परवाह किए बिना ही नदी में कूदकर बच्चे की जान बचाई. वहीं दूसरी घटना दिल्ली रोड पर एक टैंपो चालक ने साइकिल सवार को टक्कर मार दी और वो भाग गया. प्रवीण ने घटना को देखकर टैंपो के पीछे दौड़ लगा दी और एक किलोमीटर तक उसका पीछा कर टैंपो चालक को पकड़ पुलिस के हवाले कर दिया. साथ ही घायल को तुरंत अस्पताल पहुंचाया और उसकी जान बचाई. प्रवीण सैनी की उपलब्धियां 2002 में अंतरराष्ट्रीय जीत कूनडो चैम्पियनशिप में रजत पदक, 2005 में अंतरराष्ट्रीय जीत कूडो  में गोल्ड मेडल, ऑल इंडिया मार्शल आर्ट चैम्पियनशिप में गोल्ड, रजत और कांस्य पदक, मंडल स्तरीय चैम्पियनशिप में रजत पदक, जनपदीय जूडो प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल, 6 – राज्य स्तर, जिला स्तर व ओपन प्रतियोगिता में कई पुरस्कार,  मार्शल आर्ट में ब्लैक बैल्ट तृतीय डॉन डिग्री. Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : July 30, 2024, 15:09 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed